यह शोध लेख भारत के समुद्री खाद्य निर्यात पर अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव और भारत की प्रतिक्रिया का विश्लेषण प्रस्तुत करता है। अध्ययन से स्पष्ट होता है कि अमेरिका के दबाव ने भारत को अपनी निर्यात रणनीति में विविधता लाने और नए वैश्विक बाजारों की खोज करने का अवसर दिया। “सिंगल मार्केट निर्भरता” को खत्म करने और “विविध उत्पाद-विविध गंतव्य” की नीति अपनाने से भारत न केवल आर्थिक रूप से मज़बूत हुआ, बल्कि वैश्विक व्यापार में अपनी स्थिति भी सुदृढ़ करने में सफल रहा।
समुद्री खाद्य भारत के निर्यात राजस्व का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। 2024-25 में भारत ने 1.69 मिलियन टन समुद्री खाद्य का निर्यात किया, जिसकी कीमत 7.45 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी। इस दौरान अमेरिका ने भारतीय समुद्री खाद्य उत्पादों पर टैरिफ लगा दिया। परंतु भारत ने इस चुनौती को अवसर में बदल दिया और “समुद्री खाद्य कूटनीति” को नए सिरे से परिभाषित किया।
अमेरिकी टैरिफ और उसका प्रभाव (Impact of U.S. Tariffs)
- भारत की अर्थव्यवस्था को दबाने की कोशिश
- अमेरिकी सुपरमार्केट और रेस्तरां पर असर
- भारत के निर्यातकों पर अल्पकालिक दबाव
मुख्य प्रभाव:
- एकल बाजार पर निर्भरता खत्म करने का निर्णय
- घरेलू उद्योग को वित्तीय मजबूती देने की मांग
- जनभावना में अमेरिकी उत्पादों के खिलाफ बहिष्कार
भारत की रणनीतिक प्रतिक्रिया (India’s Strategic Response)
1. एकल बाजार निर्भरता का उन्मूलन
MPEDA के चेयरमैन डॉ. स्वामी ने घोषणा की कि भारत अब किसी एक स्पीशीज, डेस्टिनेशन या मार्केट पर निर्भर नहीं रहेगा।
2. नए बाजारों की खोज
भारत ने रूस, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, नॉर्वे, स्विट्जरलैंड, चीन, वेस्ट एशिया और दक्षिण कोरिया जैसे देशों को लक्षित किया।
3. उत्पादों और गंतव्यों में विविधता
“डायवर्स प्रोडक्ट्स और डायवर्स डेस्टिनेशंस” की रणनीति अपनाई गई।
4. आर्थिक ढाँचे का सुदृढ़ीकरण
निर्यातकों के लिए वर्किंग कैपिटल बढ़ाने और लोन पर मॉरिटोरियम का प्रस्ताव रखा गया।
5. घरेलू उत्पादन क्षमता का लाभ
भारत के पास पहले से ही विशाल उत्पादन आधार है, जिसने अमेरिका के दबाव को संतुलित करने में मदद की।
भारतीय समुद्री खाद्य निर्यात – 2024-25 के आँकड़े
| श्रेणी / राज्य | निर्यात मूल्य (अमेरिकी $) | प्रतिशत हिस्सेदारी |
| कुल समुद्री खाद्य निर्यात | 7.45 बिलियन | 100% |
| फ्रोजन झींगा (Frozen Shrimp) | 3.27 बिलियन | 44% |
| फ्रोजन मछली (Frozen Fish) | 1.49 बिलियन | 20% |
| आंध्र प्रदेश | 2.53 बिलियन | 34% |
| तमिलनाडु | 0.84 बिलियन | 11% |
| केरल | 0.83 बिलियन | 11% |
वैश्विक समुद्री खाद्य मांग (Rising Global Demand)
- पिछले 5 वर्षों में 35% वृद्धि
- एशिया, यूरोप और अमेरिका में रिकॉर्ड खपत
- भारत, वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे देशों का योगदान प्रमुख
घरेलू प्रतिक्रिया और जनभावना (Domestic Backlash)
- अमेरिकी टैरिफ के खिलाफ भारत में विरोध
- लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (LPU) द्वारा अमेरिकी सॉफ्ट ड्रिंक ब्रांडों पर प्रतिबंध की घोषणा
- अमेरिकी कंपनियों के खिलाफ जनभावना में उबाल
अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य (International Perspective)
- यूरोप, वेस्ट एशिया और एशिया-पैसिफिक देशों में भारत की पकड़ मजबूत
- अमेरिका की निर्भरता अब भारतीय निर्यात पर और बढ़ सकती है
- भारत वैश्विक व्यापारिक समीकरणों को बदलने में सक्षम
निष्कर्ष (Conclusion)
अमेरिकी टैरिफ का उद्देश्य भारत को दबाना था, परंतु भारत ने इसे एक अवसर में बदलकर अपनी आर्थिक शक्ति और वैश्विक स्थिति को और सुदृढ़ कर लिया। भारत की नई निर्यात रणनीति आत्मनिर्भरता, विविधीकरण और आक्रामक बाजार विस्तार पर आधारित है, जो आने वाले वर्षों में उसे समुद्री खाद्य व्यापार का वैश्विक नेतृत्वकर्ता बना सकती है।